Thursday 9 July 2015

हसरत

राहें आसान हो जाती, हम जो होते साथ अगर।
हंसते-हंसते अपना भी, तय कर लेते ये सफर ॥
खामोश सी रातें इतनी ना होती गमगीन ।
औरों की तरह हमारी भी दुनिया होती रंगीन॥
सबके चेहरे खिले हुए, अपने चेहरे पर भी होती मुस्कान।
साथ होता तेरा तो दिल की नगरी यों होती नहीं वीरान ॥
हो जाता सफर सुहाना, हर लम्हा बनता यादगार।
भटके हुए पथिक जैसे हाल पर ना होते लाचार॥
हर शाम सुहानी जिनमें खुशियों का होता अम्बार।
संजोया था जो सपना, आखिर हो जाता साकार॥

-- Umrav Jan Sikar

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